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________________ प्रमुख कारण आपकी सामाजिकता है। कुछ भी हो आप प्रथमतया सामाजिक व्यक्ति हैं, उदारता आपका गुण है। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में सहयोग देने तथा दूसरों को प्रेरित करने की आप में बड़ी लगन है तथा दूसरों के दुःख में दुःखी होना और सुख में सुख का अनुभव करना एक बहुत बड़ी सेवा है। अतः आपमें जो प्रबल सेवा भाव है वह प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है । वर्तमान में आप अ. भा. दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद, अ.भा. दिगम्बर जैन विद्वत परिषद् तथा अ.भा. दिगम्बर जैन विद्वत महासंघ के सदस्य और भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के संयोजक हैं। प्रभावी वक्ता, शास्त्र प्रवचनकार लेखक और समीक्षक हैं। स्व. पंडित अमोलकचन्द जी उड़ेसरीय स्व. पंडितजी का जन्म सन् 1893 में ग्राम उड़ेसर, जिला एटा में हुआ था। आपके पिता श्री गुलाबचन्द्र जैन त्याग-वृत्ति के सामाजिक कार्यकर्ता थे । अमोलक चन्द्र जी ने प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद कार्यक्षेत्र में पदार्पण किया। सर्वप्रथम श्री दि. जैन पाठशाला, फिरोजपुर छावनी में कार्यारम्भ करते हुए वहां जीव दया प्रचारक सभा स्थापित की जिसके माध्यम से कई स्थानों पर पशु बलि प्रथा बन्द कराने में सफलता प्राप्त की। मांसाहार त्याग एवं जीव दया प्रचार हेतु साहित्य प्रकाशन कराया। आपकी मुख्य विशेषता प्रबन्ध - पटुता और कुशल प्रशासन की अपूर्व क्षमता थी । सन् 1914 में आप श्री भगवानदास जी की प्रेरणा से इन्दौर आ गए। आपकी विशेष योग्यता की ख्याति के कारण आपको 'सर सेठ हुकमचन्द दि. जैन बोर्डिंग हाउस जंबरी बाग' के सुपरिन्टेण्डेंट का कार्यभार सुपुर्द कर दिया गया। पंडितजी ने इस विशाल संस्था के इस पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 85
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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