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________________ णमोकार मन्त्र की ऐतिहासिकता / 39 मन्त्र पर अनेकान्त दृष्टि महामत्र णमोकार को अर्थ और भाव तत्व के आधार पर ही अनादि कहा जा सकता है। इसी को हम द्रव्यार्थिक नय भी कहते है । शब्द और ध्वनि के स्तर पर तो इसे सादि मानना ही पड़ेगा। भाषा, ध्वनि, वाक्य तो प्रतिक्षण परिवर्तित होते रहने वाले तत्व हैं । इस मन्त्र में साधु शब्द का प्रयोग है। यह शब्द मुनि ऋषि शब्दो की तुलना मे नया ही है । अत द्रव्यार्थिक नय ही प्रमुख होता है-आत्मा होता है, वही निर्णायक तत्व है। पर्याय तो परिवर्तनशील होती ही है । ध्वनि के स्तर पर इस मन्त्र पर स्वतन्त्र अध्याय मे विचार किया गया है। उससे अधिक स्पष्टता आएगी । विज्ञान के नित्य नये आविष्कार शीघ्र ही इस तथ्य को प्रमाणित करेगे कि सभी तीर्थकरों द्वारा उच्चरित उपदिष्ट वाणी जो चिरकाल से आकाश में व्याप्त थी, रिकार्ड कर ली गयी है। आज हम अनुभव तो करते हैं पर बता नही पाते, प्रमाणित नहीं कर पाते। कारण यह है कि तथ्य नष्ट हो गये है, लुप्त हो गये है और उनका सार सत्य मात्र हमारे पास है । मन्त्र से हमारे समस्त अन्तश्चैतन्य ( आभा - मण्डल) मे एक संरचनात्मक विद्युत परिवर्तन होता है। इससे हम सुदूर अतीत और सुदूर भविष्य के भी दर्शन कर समते है। लाखो-करोडों व्यक्तियों का चिन्तन और विश्वास पागलपन नही हो सकता । अवश्य ही महामन्त्र की प्राचीनता और अनादित्व गणितीय पकड की चीज नही है । आचार्य रजनीश के इस कथन से प्रकारान्तर से हम णमोकार मंत्र की अनादिता की एक सहज झलक पा सकते है- "महावीर एक बहुत Mast संस्कृति के अन्तिम व्यक्ति है-जिस संस्कृति का विस्तार कम-सेकम दस लाख वर्ष है । महावीर जैन विचार और परम्परा के अन्तिम तीर्थकर है - चौबीसवे । शिखर की, लहर की आखिरी ऊँचाई और महावीर के बाद वह लहर और संस्कृति सब बिखर गयी । आज उन सूत्रों को समझना इसलिए कठिन है, क्योंकि पूरा का पूरा वह वातावरण, जिसमे वे सूत्र सार्थक थे, आज कहीं भी नही हैं। ऐसा समझे कि कल तीसरा महायुद्ध हो जाए। सारी सभ्यता बिखर जाए, सीधी लोगों के पास याददाश्त रह जाएगी कि लोग हवाई जहाजों में उड़ते थे। हवाई जहाज तो बिखर जाएंगे, याददाश्त रह जाएगी। यह याददाश्त
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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