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________________ हमारी योजना श्री अशोक जैन, सम्पादक, 'सहज-आनन्द' ने अपने माता-पिता की पावन स्मति मे केलादेवी सुमतिप्रसाद ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट के अन्तर्गत महत्त्वपूर्ण मौलिक साहित्य प्रकाशित करने के साथ-साथ, प्रतिवर्ष जैन विद्या के क्षेत्र मे कार्यरत विद्वान को पुरस्कृत करने की योजना बनाई गई है। इस योजना मे प्रथम पुरस्कार डॉ रवीन्द्र कुमार जैन, मद्रास को उनको पाडुलिपि णमोकार वैज्ञानिक अन्वेषण' पर दिया गया, जो अब पुस्तकाकार रूप में आपके हाथो मे है । यह ट्रस्ट का पाचवा पुष्प है। इसके पूर्व हमने आत्मा का वैभव (दर्शन लाड़), जैन गीता (आचार्य विद्यासागर), छहठाला का अंग्रेजी अनुवाद (डॉ. एस० सी० जैन), Scientific Treatise on Great Namokar Mantra (Dr R. K Jain) प्रकाशित की है। हमारे सभी प्रकाशनो को विद्वत् समाज मे समादर प्राप्त हुआ है। हमे विश्वास है कि यह महत्त्वपूर्ण यूस्तक एक दस्तावेज के रूप में पहचानी जायेगी। आज देश के विभिन्न विश्वविद्यालयो मे जैन विद्या से सम्बन्धित अधिकाश शोध-प्रबन्ध अप्रकाशित ही पडे है। समाज के समर्थ लोगो का यह अत्यन्त पवित्र दायित्व हो जाता है कि वे अत्यन्त श्रम से लिखे गए इन शोध प्रबन्धो को प्रकाशित करवाने हेतु अपना सक्रिय और ठोस सहयोग प्रदान करे। केलादेवी सुमतिप्रसाद ट्रस्ट, इस सारस्वत साधना के प्रोत्साहन हेतु एक योजना प्रारम्भ कर रहा है। मैं समाज के प्रबद्ध निष्ठावान कार्यकर्ताओ का इस महत्त्वपूर्ण योजना को साकार करने मे अपना हर सम्भव सहयोग देने का आह्वान करता हूँ । भवदीय मेघराज जैन सचिव-केलादेवी सुमति प्रसाद ट्रस्ट, दिल्ली
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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