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________________ णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव / 147 प्रभाव पर हैं। पुण्यास्रव और आराधना कथाकोष के अतिरिक्त अनेक शास्त्रों और पुराणो मे भी इस मन्त्र के प्रभाव को कथाओं द्वारा प्रकट किया गया है। मुनि श्री छत्रमल द्वारा रचित 'जैन कथाकोष' में प्रसिद्ध 220 कथाए सहीत है । इनमे अनेक कथाए णमोकार महामन्त्र की महिमा पर आधारित है । इन पौराणिक प्राचीन कथाओ के अतिरिक्त हमारे नित्यप्रति के जीवन मे घटित मन्त्रमहिमा की अनुभूतियां तो हमसे बिल्कुल सीधी बात करती है । यहा अत्यन्त प्रसिद्ध कतिपय कथाए सक्षेप मे प्रस्तुत हैं अर्जुन माली - अन्तकृत दशा-6 मगध देश की राजधानी राजगृही मे अपनी पत्नी बन्धुमती सहित अर्जुन नामक एक माली रहता था। नगर के बाहर एक बगीचे मे यज्ञमन्दिर था । अर्जुन अपनी पत्नी सहित इस बगीचे के फूल तोड़ता, यक्षपूजा करता और फिर उन्हे बाजार में बेचकर जीविका चलाता था । एक दिन अर्जुन यक्ष की पूजा मे लीन था और उसकी पत्नी बाहर पुष्प बीन रही थी । सहसा नगर के छह गुण्डे वहा आ गए। बन्धुमती की सुन्दरता और जवानी पर वे मुग्ध हो गए। बस एकान्त देखकर उसके साथ वलात्कार करने पर तुल गए। अर्जुन का यक्ष की प्रतिमा से बाध दिया और वे बन्धुमती का शील भंग करने लगे । अर्जुन इस अत्याचार से तिलमिला उठा । उसने यक्ष से कहा, हे यक्ष, मैंने तुम्हारी जीवन भर सेवा-पूजा यही फल पाने के लिए की है। मेरी सहायता -मुझे शक्ति दे, या फिर ध्वस्त होने के लिए तैयार हो जा । कर यक्ष का चैतन्य चमक उठा-उसने एक शक्ति के रूप मे अर्जुन माली के शरीर में प्रवेश किया, बस, अर्जुन में अपार शक्ति आ गयी। उसने क्रोध मे पागल होकर छहों गुण्डो की हत्या की। अपनी पत्नी को भी समाप्त कर दिया। फिर वो उस पर हत्या का भूत ही सवार हो गया। नगर के बाहर वह रहने लगा और जो भी उसे मिलता उसकी वह हत्या कर देता । नगर मे आतक छा गया। नगर के भीतर के लोग
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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