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________________ महामन्त्र गमोकार वर्ष, व्याख्या (पदक्रमानुसार) / 137 नधकार मन्त्र कहने वालो ने इस मन्त्र मे एक चार चरणो या पदों वाला मगल श्लोक भी सम्मिलित कर लिया है। वास्तव मे मूलमन्त्र तो पाच पदो का हो है। परन्तु चलिका रूप चार पद जो मूल मन्त्र के फल को बताते हैं, उन्हें भी भक्तिवश मन्त्र के उत्तरार्ध के रूप में स्वीकार किया गया है। मूलमन्त्र पांच पद णमो अरिहनाण, णमो सिद्धाण, गमो आइरियाण, जमो उबझायाण, णमोलोए सव्यसाहूर्ण। चूलिका या मन्त्र का उत्तरार्ध एसो पच णमोकारो सम्वपाबप्पणासमो। मगलाण च सम्वेसि, पढम हवइ मगल॥ अर्थात यह पच नमस्कार मन्त्र समस्त पापो का नाशक है और समस्त मगलो मे प्रथम मगल है। मगल पाठ के समय अर्थात किसी साधु या साध्वी के प्रवचन के पश्चात और कभी कभी प्रारम्भ मे मगलाचरण के रूप में भी इसका पाठ किया जाता है। इसके साथ निम्नलिखित पाठ भी बोला जाता है चत्तारि मगल, अरिहता मगल, सिद्धा मगल, साहू मगल, केवली पण्णत्तो धम्मो मगलम। चत्तारि लोगुत्तमा, अरिहता लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहू लोगुतमा, केवली पण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरण पम्वज्जामि, अरिहता सरण पव्वज्जामि, सिद्धा सरण पम्बन्जामि, साह सरण पबज्जामि, केवलीपण्णत्त धम्म सरण पव्वज्जामि।
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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