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________________ 128 / महामन्त्र ममोकार. एक वैज्ञानिक बनाने के साथ अन्यो के लिए प्रेरणा, आदर्श और अनुकरण का विषय बनता है। आचार्य का निर्णय चतुविध संघ करता है और तदनुसार उन्हे अपने नेतृत्व मे साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका - चारो के शानafra के उत्तरोत्तर विकास में सहायता करनी पड़ती है ।"" इस प्रकार आचार्य परमेष्ठी वीतराग भगवान के गुरुकुल के सचालक होते हैं और चारो तीर्थों के नेता होते है । णमो उवज्झायाणं उपाध्येय परमेष्ठियों को नमस्कार हो । आचार्य परमेष्ठी आचार ( चारित्र्य) पालन और अनुशासन पक्षो पर प्रमुख रूप से ध्यान देते हैं । इन्ही पक्षो से सम्बन्धित विषयों का अध्यापन (उपदेश ) भी आवश्यकतानुसार देते हैं । उपाध्याय परमेष्ठी मे बाचार्य के पूर्वोक्त प्राय. सभी गुण होते हैं। इनका प्रमुख कार्य मुनियों को द्वादशाङ्म वाणी के सभी पक्षों का विशद एवं तात्विक अध्ययन कराना है । उप अर्थात् जिनके समीप बैठकर मुनिगण अध्ययन करते हैं वे उपाध्याय कहलाते हैं । अथवा ज्ञान की सर्वोच्च उपाधि 'उपाध्याय' से जो विभूषित हो वे उपाध्याय कहलाते है । "जो मुनि परमागम का अभ्यास करके मोक्ष मार्ग में स्थित हैं तथा मोक्ष के इच्छुक मुनियों को उपदेश देते हैं, उन मुनीश्वरो को उपाध्याय परमेष्ठी कहते हैं । उपाध्याय ही जैनागम के ज्ञाता होने के कारण मुनिसघ मे पठन-पाठन के अधिकारी होते हैं ग्यारह अग और चौदह पूर्व के पाठी, ज्ञान, ध्यान मे लीन, परम निर्ग्रन्थ श्री उपाध्याय परमेष्ठी को हमारा नमस्कार हो ।" सम्यग्ज्ञान की समस्त उच्चता, गाम्भीर्य और विस्तार के पूर्ण ज्ञाता और विवेचनकर्ता उपाध्याय होते हैं । उपाध्याय परमेष्ठी श्रुतज्ञान के अधिष्ठाता होने के साथ-साथ व्याख्या और विवेचन की नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा से भी ममलकृत होते हैं। उनका समस्त जीवन ज्ञानार्जन एव ज्ञानदानार्थ समर्पित रहता है । उनमें किसी प्रकार का स्वार्थ, हीनता ग्रन्थि अथवा व्यापार बुद्धि का सर्वथा अभाव रहता है । वे बाहर और भीतर से एक से होते है। उन्हें सामारिकता से कोई 1 'सर्वधर्म सार महामन्त्र नवकार'- - पृ० 53, काति ऋषीनी 2 मगलमन्त्र णमोकार एक चिन्तन' - पू० 48, डॉ० नेमिचन्द्र जीन
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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