SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हो जाते हैं। अधिकतर दुर्घटनाए तो केवल इसी कारण से ही होती हैं, जिनमे जन-धन की अपार हानि होती है। एक बात और भी है। कम तोल कर, कम नाप कर, अधिक मूल्य लेकर और बढिया वस्तु मे घटिया वस्तु मिला कर बेचने से दुकानदार यह समझता है कि उसे अधिक लाभ मिल रहा है, परन्तु यह उसका भ्रम ही है। जब भी ग्राहक को वास्तविकता का पता चलता है वह उस दुकानदार से वस्तुए खरीदना छोड देता है और अपने परिचितो को भी उस दुकानदार की बेईमानी से अवगत करा देता है, जिससे कि उस दुकानदार की साख उठ जाती है और उसका व्यापार ठप्प पड जाता है। - इसके विपरीत जो दुकानदार ईमानदारी से व्यापार करता है उस पर ग्राहको का विश्वास बढता जाता है और धीरे-धीरे उसके व्यापार मे उन्नति होती जाती है । बडी-बडी प्रसिद्ध मिलो का माल बन्द गठरियो और पेटियो मे केवल विश्वास के बल पर ही प्रतिदिन लाखो रुपये का बिकता है, क्योकि ग्राहक को यह विश्वास होता है कि इस गाठ अथवा पेटी मे वही वस्तु होगी, जिसका उस पर लेबिल लगा हुआ है। यदि ऐसा न हो और प्रत्येक व्यक्ति ही बेईमानी करने लग जाये तो ससार मे प्रतिदिन जो अरबो रुपये का व्यापार होता है वह बन्द हो जाये। हम एक बात और स्पष्ट कर दे, मान लीजिये आप एक व्यापारी हैं । आपके पास अन्य वस्तुमओ के साथ-साथ आपकी असावधानी से कोई घटिया वस्तु या खोटा सिक्का आ जाता है। आपको इस बात का पता भी नही चलता और साधारण रूप मे ही वह घटिया वस्तु या खोटा सिक्का आपके पास से निकल जाता है तो आपको कोई दोष नही ६०
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy