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________________ सिंचाई करने पर उपज होती है। परन्तु यदि हम बहुत अधिक तापमान पर उबले हुए जल (Dastalled water) से सिंचाई करें, तो भूमि चाहे कितनी ही उपजाऊ क्यो न हो उस जल से उपज नही हो सकती क्योकि वह पानी जीवन रहित हो जाता है। इसी प्रकार यदि हम उपजाऊ मिट्टी वाला कोई गमला साधारण जल से सीचकर हवाबन्द (Artight) बोतल मे रख दे और उसकी सारी हवा निकाल दे तो उस गमले मे अकुर नही फूटेंगे, क्योकि वहाँ पर जीवन सहित वायु का अभाव है। इन प्रयोगो से यह सिद्ध होता है कि मिट्टी, जल तथा वायु मे भी जीवन होता है। बहुत सम्भव है कि जिस प्रकार श्री जगदीशचन्द्र वसु ने वैज्ञानिक यन्त्रो के द्वारा वनस्पति मे जीवन का होना सिद्ध कर दिया है उसी प्रकार कोई वैज्ञानिक पृथ्वी, जल तथा वायु मे भी जीवन होना सिद्ध कर दे। हमको अपने रूप, ज्ञान, शक्ति, धन, कुल व जाति आदि का भी अहकार नही करना चाहिए। मन मे ऐसी भावनाओ के आने से हम अपने को ऊचा और दूसरो को नीचा समझने लगते हैं और अपने ऐसे व्यवहार से दूसरो के हृदयो को ठेस पहुचाते हैं। इसलिए एक अहिंसक को किसी प्रकार का भी अहकार नही करना चाहिए। (२) झूठे, कठोर, निन्दा-परक, 'अप्रिय, कषाय-युक्त, आपस मे मनमुटाव व भ्रम पैदा करने वाले वचन बोलना भी हिसा ही है । क्योकि इनसे सुनने वाले व्यक्ति को मानसिक क्लेश तो होता ही है, कभी-कभी शारीरिक कष्ट भी पहुच जाता है। हमे ऐसे सत्य वचन भी नही बोलने चाहिए, जो सुनने वालो को अप्रिय लगें, जैसे किसी नेत्रहीन को अन्धा कहकर पुकारना । हमें ऐसे सत्य वचन भी
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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