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________________ हमारा भोजन अब हम अपने प्रति दिन के भोजन के सम्बन्ध में कुछ विचार करेंगे। भोजन का हमारे स्वास्थ्य व अहिंसा धर्म से बहुत गहरा सम्बन्ध है । यदि हम अपनी प्रकृति के अनुकूल, शुद्ध व ताजा भोजन सेवन करेंगे तो हमारा स्वास्थ्य ठीक रहेगा । इसी प्रकार यदि हम भोजन के सम्बन्ध मे उचित सावधानी बरते तो हम बहुत सी अनावश्यक हिंसा से भी बचे रहेगे । अधिकतर ऐसा होता है कि भोजन को, आँखो को सुन्दर दिखने वाला और जिह्वा को स्वादिष्ट लगने वाला बनाने के लिये हम अनजाने मे ही उसके पोषक तत्त्व नष्ट कर देते हैं । इसी प्रकार हम कई बार शाकाहारी भोजन को भी मासाहारी बना लेते हैं । हम भोजन क्यों करते हैं ? भोजन करने का मुख्य उद्देश्य हमारी भूख की तृप्ति करके हमे अपने कार्य करने और जीवित रहने के लिये पर्याप्त शक्ति प्राप्त करना है। जो व्यक्ति जितना अधिक शारीरिक कार्य करता है उसकी उतनी ही अधिक शक्ति नष्ट होती है और उस नष्ट हुई शक्ति को पूरा करने के लिये उसको उतने ही अधिक भोजन की आवश्यकता होती है । इसीलिए जो व्यक्ति अधिक शारीरिक कार्य करते हैं वे अधिक मात्रा मे भोजन सेवन करते हैं। परन्तु हम भोजन सेवन करने के इस मूल उद्देश्य को भूल गये हैं। हम केवल भूख शान्त करने के लिये ही नहीं, KYA
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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