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________________ एक प्रसिद्ध डाक्टर ई० वी० मेककालम ने Newer Knowledge of Nuutrition के पृष्ठ १७१ पर लिखा है, "अण्डो मे कैलशियम की बहुत कमी होती है और कार्बोहाइड्रेट्स तो होते ही नही। इस कारण यह बडी आतो मे जाकर सडाध मारते हैं और सडने वाले कीटाणुओ को बढावा देकर भयकर बीमारियो को पैदा करते हैं।" उन्होने इसी पुस्तक मे पृष्ठ ३९६ पर अपना एक अनुभव लिखा है, "कुछ बन्दरो को जब अण्डे खिलाये गये तो उनके शरीर मे सडाघ पैदा करने वाले बैक्टीरिया पैदा होने लगे। वे बन्दर सुस्त हो गये। उन्होंने अपने सिरो को झुका दिया और वे बुधू से बन गये। उनका पेशाब रुक-रुक कर, सड कर व गहरे रग का आने लगा। जब उन्हे ग्लूकोज़ दिया गया तब वे फिर ठीक हो गये। इस प्रकार जैसे शाकाहारी बन्दरो आदि पशुओ को अण्डे माफिक नही आते, उन्हे बीमार कर देते हैं, उसी प्रकार शाकाहारी मनुष्य के लिए भी अण्डे कभी माफिक नही आ सकते।" __ अनेक डाक्टरो का यह अनुभव है कि जब पशुओं को अण्डो की सूखी सफेदी खिलाई गई तो उनमे से कुछ को लकवा मार गया, कुछ को कैसर हो गया और बहुतो को चर्म रोग हो गया। इस प्रकार यह स्पष्ट हो गया है कि अण्डे का सबसे हानिकारक भाग अण्डे की सफेदी है। लन्दन के एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर मि० हैग कहते हैं, "मास मे यूरिया और यूरिक एसिड नाम के दो बहुत ही भयानक विष पाये जाते हैं जो मनुष्य के शरीर में जाकर भयानक रोगो को उत्पन्न करते हैं।" उन्होंने लिखा है, "आगे लिखे प्रत्येक प्रकार के मास की आधा १३७
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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