SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मांसाहार अब हम मासाहार के सम्बन्ध मे कुछ विचार करेगे। ससार मे मासाहार के लिये जितनी हिंसा की जाती है, उतनी हिंसा और किसी भी कार्य के लिये नहीं होती। प्रतिदिन करोडो मछलिया व पशु-पक्षी मास प्राप्त करने के लिये बघ किये जाते हैं। मांसाहार के पक्ष में कुछ तर्क व उनका समाधान (१) कुछ व्यक्ति यह कहते हैं कि हमारे भोजन से हिंसा व अहिंसा का कोई सम्बन्ध नहीं है। हम कुछ भी खायें, इससे कोई अन्तर नही पडता। हमको प्रत्यक्ष मे हिंसा नही करनी चाहिये। __ यह तर्क नही, अपितु उसी प्रकार का कुतर्क है जिस प्रकार कुछ व्यक्ति कहते है कि व्यापार मे झूठ बोलने मे, कम तोलने मे, मिलावट करने मे कोई बुराई नहीं है, क्योकि ऐसा किये बिना व्यापार चल नही सकता और व्यापार मे ऐसा करने से हमारी व्यक्तिगत ईमानदारी पर कोई आच नही आती। क्या कोई विवेकशील व्यक्ति ऐसे तर्क को मान्य करके व्यापार में इस प्रकार की बेईमानी को उचित ठहरायेगा? इसी प्रकार मासाहारी भी अहिंसक कैसे कहला सकते हैं, यह बात समझ से परे है। यह सर्वविदित है कि मास प्राप्त करने के लिये स्वस्थ पशु-पक्षी का बध किया जाता है। स्वय मरे हुए पशु-पक्षी का मास नही
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy