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________________ धर्म के नाम पर हिंसा भगवान महावीर के समय मे धर्म के नाम पर यज्ञो मे पशुओ को और कभी-कभी मनुष्यो की भी बलि दी जाती थी। यह सब वेदो के नाम पर और वेदो के अनुसार किया जाता था। इसके समर्थन में कहा जाता था कि यज्ञो मे जो बलि दी जाती है वह हिसा नही है, क्योकि यज्ञो से धर्म होता है तथा इन पशुओ को पीडा नही होती और ये पशु स्वर्ग जाते हैं। भगवान् महावीर के द्वारा हुए अहिसा के प्रचार के कारण इस बलि प्रथा मे बहुत कमी हुई। फिर भी किसी न किसी रूप में यह बलि प्रथा आज तक चली आ रही है। आज भी बकरो, भेडो, भैसो, मुर्गों आदि की और कभी-कभी चोरी से मनुष्य की भी बलि दी जाती है । हिन्दू अपने देवी-देवताओ को प्रसन्न करने के लिए बलि देते है। मुसलमान अपने खुदा की राह में अपनी सबसे प्यारी वस्तु की कुरबानी देते हैं। (इनकी सबसे प्यारी वस्तु ये दोनहीन भेड-बकरे ही होते है ।) बहुत से आदिवासी भूत-प्रेतो और दु.ख बीमारी को अपने से दूर करने के लिए और अगर कोई दुःख बीमारी आ जाये तो उससे बचने के लिये तथा अपने देवताओ को प्रसन्न करने के लिये पशुओं की और कभी-कभी मनुष्यो तक को बलि देते हैं। क्या इस प्रकार से बलि देना उचित है ? क्या इससे
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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