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________________ अहिंसा और जनतन्त्र आज ससार मे जनतन्त्र की बहुत चर्चा है। जनतन्त्र किसी भी देश के अपने नागरिको के जीवन तथा उनके अधिकारो की सुरक्षा का भरोसा दिलाता है। परन्तु अहिसा जनतन्त्र से भी बहुत आगे है। जबकि जनतन्त्र केवल अपने देश के ही नागरिको के जीवन व उनके अधिकारो तक ही सीमित है, अहिसा समस्त ससार के प्रत्येक प्राणी के जीवन और उसके अधिकारो की सुरक्षा करने के लिये प्रेरित करती है। हिंसा अथवा अहिंसा ? हमको हिसा और अहिसा इन दोनो मे से एक को 'धर्म' के रूप में चुनना है। धर्म सार्वभौम होता है। ऐसा कभी नही होता कि कुछ व्यक्तियो का धर्म हिसा हो और कुछ का अहिसा। ऐसी दशा मे आप दोनो में से किसका चुनाव करेगे? _ आप कुछ समय के लिये हिसा को धर्म मानने वाले ससार की कल्पना करे । ऐसे ससार का नियम होगा "या तो अन्य जीवो की हत्या करो अन्यथा वे तुम्हारी हत्या कर देगे" (Kill or be Killed) । ऐसी स्थिति मे आपको चारो ओर प्रत्येक प्राणी एक-दूसरे को कष्ट पहुचाता हुआ दिखाई देगा। चारो ओर अविश्वास और भय का वातावरण होगा। प्रत्येक प्राणी को हर समय अपने प्राण बचाने की चिन्ता लग रही होगी। चारों ओर रुदन व चीत्कार तथा रक्त व मास के दृश्य ही दिखाई दे रहे होगे। इसके विपरीत अहिसा को धर्म मानने वाले ससार मे बिल्कुल उलटा ही दृश्य दिखाई देगा। ऐसे ससार का नियम १०८
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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