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________________ यहा के राजाओ का आपस का वैमनस्य, एक-दूसरे से विश्वासघात, उनकी निर्बलता, कायरता और विलासिता थी । अहिसा धर्म कभी यह नही कहता कि आक्रमणकारी का सामना न करो और उसके सामने आत्मसमर्पण कर दो । अहिसा धर्मं तो यह कहता है कि किसी पर अत्याचार करना पाप है, परन्तु किसी का अत्याचार सहना महापाप है । यदि हम भारत के पिछले दो सौ वर्षों के इतिहास पर दृष्टि डाले तो हमको विदित होगा कि जब अग्रेज भारत में आये थे तब यहा के अधिकाश शासक मुसलमान राजा व नवाब थे । यह सर्वविदित है कि मुसलमान अहिसा मे विश्वास नही करते, फिर वे मुसलमान राजा व नवाब परतन्त्र कैसे हुए? उत्तर यही है कि अग्रेजो ने 'फूट डालो और राज्य करो' की नीति अपनायी और उनकी यह कूटनीति पूर्णत सफल हुई। इसके अतिरिक्त वे मुसलमान शासक पूरी तरह से विलासी हो गये थे और अपना अधिकतर समय शासन के कार्यों में लगाने के बजाय सुरापान व सुन्दरियो मे व्यतीत करने लगे थे। शासन वस्तुत उन वज़ीरो के हाथ मे था, जो स्वय शासक बनने के लिये षड्यन्त्र करते रहते थे । अग्रेजो ने ऐसे व्यक्तियो को अपना मुहरा बनाया और कूटनीति से धीरे-धीरे करके सारे भारत का शासन अपने हाथो मे ले लिया । इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत की परतन्त्रता मे अहिसा का कोई हाथ नहीं था। इसके विपरीत पुराने इतिहासो और विदेशियो की भारत यात्रा के वर्णनो से हमको विदित होता है कि प्राचीन काल मे यहा पर हिंसा नाम मात्र को होती थी। यहां के निवासियो का चरित्र बहुत ऊचा था, बेईमानी व विश्वास 1 १०२
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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