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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [५९ विशालक्षेत्र पर था। उत्तरमें नर्बदा और उड़ीसासे लेकर दक्षिणमें पन्नवार नदी तक, पूर्वमें बंगालकी खाड़ीसे लेकर पश्चिममें सलेम, बंगलोर और बरारकी सीध तक। ___महाबलपुरमें जो बड़े २ मंदिर और रथ हैं वे इनके ही बनवाए हुए हैं। ये अब सात मंदिर Daven pagodasके नामसे प्रसिद्ध हैं। ये समुद्र तटपर चिंगलपुट नगरके करीब २ बिलकुल पूर्वमें हैं । सन् ७६०के अनुमान पल्लवोंका शासन जाता रहा तब यह जिला मसूरके पश्चिमीय गंगवंशियोंके हाथमें आगया। फिर निनाम हैदराबाद रियासतके स्थान मलखेड़के राष्ट्रकूटोंने हमला करके कांची देश नौमीके प्रारम्भमें पुनः दशवीं शताब्दीके मध्यमें ले लिया । थोड़े दिन पीछे यह चोलवंशके पास चला गया जिस वंशका सबसे बड़ा राजा राजदेव हुआ है। १३वीं शताब्दीमें चोल शक्ति कम होगई तब यह वरंगलके काकिंतय लोगोंके हाथमें आया। सन् १३९३ में विजयनगर राज्यमें शामिल हुआ तथा १५ वीं शताब्दीमें मुसलमानोंने अधिकार किया । पल्लवोंको बौद्ध धर्म व आर्य धर्मका पवित्र अंश मान्य था। पीछेसे उन्होंने जैनधर्म स्वीकार किया । १२वीं शताब्दीमें वैष्णव धर्मका ज़ोर हुआ तब बौद्ध और जैन दोनों या तो लुप्त हो गए या बहुत घट गए। तामील भाषाकी सबसे प्राचीन पुस्तक नौमी शताब्दीकी मिलती है-इसके कर्ता जैन हैं। पुरातत्त्व-सबसे प्राचीन पदार्थ यहां कुरुम्मोंके और इतिहा. ससे पूर्वके निवासी कौभोंके पाषाणके स्मारक हैं जो यहां बहुत अधिक पाए जाते हैं
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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