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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [५५ wwwmmm यह शाका ११०७ वि० सं० १२४२ व सन् १९८५ में हुए हैं । इसी ग्रामके जैन मंदिरके आंगन में एक स्तम्भपर लेख (नं. ४०) है । भाव यह है कि जब निदिगल्लू राज्यधानी पर महामंडलेश्वर त्रिभुवनकोल राज्य करते थे शाका १२०० में तब संगनव वोम्बीसेठी और मलव्वे भार्याके पुत्र मल्लिसेठीने तन्नदहल्ली ग्राममें २००० एकड़ भूमि श्री पाश्चदेव मंदिरके लिये दी। यह मूर्ति तेलनगरकी जैन वस्तीमें है। इसे ब्रह्म जिनालय कहते हैं। सेठी कुंदकुंदान्वयी पुस्तक गच्छीय देशीयगण मूलसंघ इंगलेश्वर शाखाके त्रिभुवनकीर्ति वारुलके शिष्य बालेन्द्रमलधारीदेवके श्रावक शिष्य थे। इसी मंदिरमें अनुमान १२०० शाकाके नीचे लिखे लेख भी हैं। (१) नं० ४१-वेरी सेठीके पुत्र सोमेश्वर सेठीकी समाधि । (२) नं० ४२-इसी मंदिरके एक आसनपर इस वस्तीको वालेन्दुमलधारी देवके शिष्यने बनवाया । (३) नं० ४३-मंदिरके दक्षिण एक सरोवरके निकट पाषाणपर मूलसंघीय इंगलेश्वर शाखाके भट्टारक श्री प्रभाचंद्रके शिष्य बोम्बीसेठी बचय्याकी समाधि-निषीधिका । (४) नं० ४४ - ऊपरके स्थानपर एक पाषाण-मूलसंघी सेनगणके मुनि भावसेन त्रैविध चक्रवर्तीकी निषीधिका (समाधिस्थान) (५) नं. ४५-वहीं-वालेन्दुमलघारी देवके शिष्य विरुप या भरयाकी निषीधिका। (६) नं० ४६-वहीं पोटोज पिता और सयबी मारक पुत्र दोनोंकी निषीधिका ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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