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________________ मदरास व मैमूर प्रान्त। [५३ । (३) कम्बदुरू-ता. कल्याणद्रुग-मदाक्षिराको जाती हुई सड़कपर । यहां तीन मंदिर हैं जिसकी कारीगरी जैनियोंके समान है। दो खंडित पड़े हैं । एकको शिवमंदिर बनाया गया है। इसमें कई जैन चिह्न हैं। (४) अगली-ता० मदाक्षिरा-यह प्राचीन जैन मंदिर है जिसमें एक नग्न तीर्थकरकी मूर्ति है। (५) अमरपुरम्-ता० मदाक्षिरा यहांके उत्तर पश्चिम कोनेमें एक ग्राम । यहां जैन मंदिर है जिसमें एक प्राचीन पाषाण है जिसमें कायोत्सर्ग नग्न जैन मूर्ति है व पुरानी कनड़ी भाषामें लेख है । इस मंदिर बननेके पहले यह मूर्ति यहां विद्यमान थी। नैन लोग इसको पूजते हैं ऐसा कहा जाता हैं। तम्मदहल्लीमें अंजनेय मंदिरके भीतर उत्तरको १ मील जाकर ऐसा पाषाण है जिसमें दो नग्न जैन मूर्तियां हैं व लेख है। (६) हेमावती-अमरपुरम्से दक्षिण ८ मील | यह स्थान पल्लवोंकी शाखा नोलम्बोंका मुख्य स्थान है। ये ८ वीं से १०वीं शताब्दी तक ऐश्वर्यशाली हुए थे। तीन लेखोंमें उनके राजाओंके नाम हैं। दो लेख सन् ३५० व ४ ४ ४के हैं-जिनमें हेजेरू के युद्ध में वीरताके लिये दान हैं ( Rice, Mysors I. p. 163 ). (७) रत्नागिरि-मदाक्षिरासे दक्षिण पश्चिम १७ मील। यहां पुराना किला है व एक प्राचीन जैन मंदिर है। (८) पेनूकोंडा-ता० यहां दो प्राचीन जैन मंदिर हैं । (९) तदपत्री-ता० पेन्नरके कोनेपर रामेश्वर मंदिर है। इसमें ५ शिलालेख हैं। सबसे प्राचीन सन् ११९८का है। इसमें जैनि
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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