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________________ प्राचीन जैन स्मारक। इतिहास-यह निला कलिंग और वेंगीके दो प्राचीन राज्योंमें शामिल था। प्राचीन शासक अंध्र लोग थे, जिनको अशोकने सन् ई० से २६० वर्ष पूर्व विनय किया था परन्तु अधोंने पीछे ४०० वर्षके अनुमान यहां स्वतंत्रतासे राज्य किया । उनका राज्य बम्बई व मैसूर तक था। उनके पीछे तीसरी शताब्दीके प्रारम्भमें पल्लव राजाओंने राज्य किया, उनमेसे दो रामाओंकी राज्यधानी क्रमसे एल्लोर और पिथापुरम्में थी । सातवीं शताब्दीमें यह देश पूर्वीय चालुक्योंके हाथमें आगया, इन्होंने अपना राज्य विनगापटम तक बढ़ाया और राजमहेन्द्रीको राज्यधानी बनाया। सन ९९९में ये चालुक्य लोग चोल राज्यके आधीन होगए । १२ वीं शताब्दीके मध्यमें चोलोंकी शक्ति घटने लगी तब वेंगीमें छोटे २ राजा राज्य करने लगे। तेरहवीं शताब्दीके अंतमें वरांगलके गनपति राजाओंने राज्य किया। इनका बल मुसलमानोंके सामने सन १३२४ में घट गया परन्तु मुसल्मानोंके हट जानेपर वेंगी देशमें कोंडविद और राजमहेंद्रीके रेजो राजा राज्य करने लगे। १५वीं शताब्दीके मध्यमें वेंगी और कलिंगदेश उड़ीसाके गनपति राजाओंके अधिकारमें थासन् १४७० में गुलवर्गाके सुलतानने ले लिया। पुरातत्त्व-एल्लोरके पास पेज्जूवेगी और देन्कुलुरुमें टोले हैं ये वेंगीके बौद्धोंकी राज्यधानीका स्थान हैं। एलोरसे उत्तर २४ मील बौद्धोंके स्मारक हैं। येनगुदेन ता०के अरुगाला स्थानमें खुदाई करनेसे एसे मकान मिले हैं । एलोर ता० के कन्वरपुकोट और कोरुकोंडमें हिन्दुओंकी मूर्तियां खुदी हुई हैं। द्राक्षापुरम् में उपयोगी लेख
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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