SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ३२७ मदरास व मैसूर प्रान्त | जैन शिलालेख जो एपिग्राफी करनाटिका जिल्द ११वींसे लिये गये हैं । (१) नं० १३ सन् १२७१ नाम बेतुरु ता० दावनगिरि । सिद्धेश्वर मंदिर में यह बेत्तर पांड्य देश के मध्य है । यादववंश महादेव व रामचन्द्र राज्य करते थे उनके आधीन कूचा राजा बेत्तर व अन्य ग्रामोंका स्वामी था । यह वीरसेन व जिनसेनाचार्य के वंशज जिन भट्टारक देवका शिष्य था । इसकी स्त्रीने जो पद्मसेन यतिपकी शिष्या थी ली जिनालय बनवाया । कूची राजाने उसे मूलसंघ, सेणगण पोगरमच्छ के आधीन किया तथा महादेवराजासे हुनिमेयल्ली ग्राम लेकर पद्मसेन भट्टारकके चरण धोकर श्रीपार्श्वनाथ भगवानकी सेवार्थ दान किया | (२) नं० ९० सन ११२८, ग्राम साबनारु, मादिकहेके दक्षिण । चालुक्य त्रिभुवनमल परमादीदेवके राज्यमें उसका सेवक राजा पांड्य था । उसका मंत्री सूर्यदंडाधिप था, भार्या करियक्क थी । उसने यहां एक जैनमंदिर बनानेका प्रण किया था । इसने श्रीपादेवकी सेवार्थ बोम्बनके शांतिसेन पंडित के हाथोंमें भूमि दान की । यह द्राविलसंघ अरुङ्गलान्वयके अजितसेन भ० के शिष्य मलिषेण व्रतींद्र मलधारीके शिष्य श्रीमाल त्रैविद्यदेवके शिष्य थे । ता० मलकालमुरु | (३) नं० १६ से १९ जैन समाधिके स्मारक सन् १२०० १ (१६) मूलसंघ व गणके माधवदेवके पुत्र वरगन गौडन चक्की गाड़ियाने (१७) मुद्दवेयने (१८) मालवने (१९) मलिसेठीने ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy