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________________ प्राचीन जैन स्मारक । (७) शिमोगा जिला । इतिहास - यहां उत्तर मथुरावासी सूर्यवंशमें उग्रवंशी कुमार जिनदत्तने ७ वीं या ८ वीं शताब्दीमें वास करके सांतारवंश स्थापित किया । २९४ ] पुरातत्त्व - शिकारपुर ता० प्राचीन स्थानोंसे मरा हुआ है । मेलवल्लीमें दूसरी शताब्दीका एक शतकरणी शिलालेख है जो बहुत प्राचीन है । इसी खम्भेपर एक कादम्ब लेख प्राकृतमें है । हममें बहुत सुन्दर जैन मंदिर हैं। यहां सन् १९०१ से पहले ३४२२ जैनी थे । यहांके मुख्य स्थान | (१) अनन्तपुर- ता० सागर । शिमोगा नगरसे २९ मील । इसका नाम अन्धसूर सरदारके नामपर था जिसको हमछवंश संस्थापक जिनदत्तने जीत लिया । यह ११ वीं शताब्दी में शांतार राज्य में मिल गया । वंदलिके - ध्वंश ग्राम ता० शिकारपुर | यहांसे उत्तर १६ मील | यह प्राचीनकालमें नगरखंडकी राज्यधानी थी जिसपर एक शिलालेख के अनुसार चन्द्रगुप्तका राज्य था । इसका पुराणमें नाम बांघबपुर है । इसमें आश्चर्यकारी शिल्पके बहुत से ध्वंश मंदिर हैं । ३० से अधिक शिलालेख हैं । (३) बेलगामी - ता० शिकारपुर - यहांसे १४ मील उत्तर पश्चिम | इसके नाम बल्लिगम्वे, बल्लिग्रामे, बलिपुर भी प्रसिद्ध हैं । चालुक्य और कलचूरी राजाओंके समय में यह वनवासी १२००० प्रांतकी राज्यधानी थी। इसमें पांच मठ और मंदिर थे । जैन,
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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