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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [२८५ दुद्दामलदेवके रसोईकार जकय्याने जैन मंदिर बनवाया। (३७) नं. ९८ ता० १०६० करीब । वहीं बाहरी भीतमें। स्मारक एचलादेवी अनेक गुरु द्राविलगण नंदिसंघ अरुंगलान्वयके गणसेन पंडित थे। (३८) नं० ९९ सन् १०७९-पुराने जैनमंदिरके पास वही ग्राम जब ओरयूर नगरमें राजेंद्र पृथ्वी कोगल राज्य करते थे तब जैन कोंगलराना अदुतादित्यने जैन मंदिर बनवाया व तरिगलनीमें भूमि दान दी, सिद्धांतदेव प्रभाचंद्र उदय सिद्धांत रत्नाकरकी सेवामें मंदिर बनवाया, मूलसंघ कानूरगण तगरीगल गच्छके गंधविमुक्त सिद्धांतदेवके उपदेशसे । (३९) नं० १०२ करीब सन् १०८०, मदतापुरमें, गोनी वृक्षके नीचे । श्री कलाचंद्र सिद्धांतदेव भट्टारकके शिष्य अमलचंद्र भट्टारकली शिप्या श्राविका नल्लरसाने अरकेरीमें जैनमंदिर बनवाया। ता० मंजराबाद । (४०) नं० ५५ सन १०३५के करीब । बल्लू ग्राममें। जैन कादव वंशी राजा नीति मथेराजीने समाधिमरण किया । (४१) नं० ५८ सन १४२० के करीब। ग्राम बेलामी-ग्रामके द्वारके पास । महाराज वीर प्रतापदेव रायमहारानकी आज्ञासे महामंत्री बैचे दंडनायकने श्री गोम्मटस्वामीकी पूजाके लिये ग्राम बेलमी जो मेगूनादमें है उसे दान किया । (४२) नं० ६७ सन ९७० के करीब । बालू ग्रामके पास क्राफोर्डके कहवाके बागमें भूमिसे एक जैन मूर्ति धातुकी निकली। उसके आसनपर लेख-स्मारक श्री लक्ष्मीदेवी जो प्रसिद्ध नोलम्ब
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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