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________________ प्राचीन जैन स्मारक। गोम्मट्टस्वामीको बाग व सरोवर भेट किया। यह देवराय द्वि. के राज्यमें भी था। यह संस्कृतका बड़ा विद्वान था । Irugapa was a sanskrit scholar. इसने नानाथरत्नमाला ग्रन्थ बनाया है । मैसूरके राजाओंका उल्लेख । नं० २५० सन् १६३४ अष्टदिग्पालके मंडप ऊपर । इसमें चामराज ओडयरकी वेलगोला यात्राका वर्णन है। मुनिवंशाभ्युदय (चिदानंदकवि कृत) सन् १६८० में इस यात्राका विस्तारसे कथन है। नं० ३६५ कल्याणी तालावका मंडप कहता है कि चिक्कदेव राना ओडयरने कल्याणी तालाव बनवाया । स्थलपुराण कहता है कि १६७२ या शाका १५९५में दोदा देवराजा ओडयरने वेलगोलाकी यात्रा की। नं० २४९ (८३) गोमट मंदिर हाता कहता है कि कृष्णराज ओडयर प्र०चे १७२३में बेलगोलाकी यात्राकी तथा कुछ ग्राम भेट किये जिसमें बेलगोला और कबाले गर्भित हैं । पहला गोमट पूजाके लिये, दूसर। दानशलाके लिये । अनन्तकवि कृत गोमटेश्वर चरित्रमें (१७८०) कृष्णराज ओडयर तृ०की यात्राका वर्णन है । सनद नं० ३५३ मठमें महाराज मैसूरके मंत्री पूर्वैय्या लिखित सन् १८१० जो कवालू ग्रामके दानको पुष्ट करता है । सनद नं. ३५४ मठमें कहती है कि बेलगोलाके मंदिर जीर्णोद्धारके लिये महाराजने सन् १८३० में ३ ग्राम अर्पण किये। ____ नं० २२३ (९८) अष्टदिग्पाल | कहता है कि कृष्णराज ओडयर द्वि०के समयमें चामुंडरायके वंशन देवराज अरसू-महारा
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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