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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [२३५ जैन मंदिर है जिसको गंगराजाके बड़े भाईकी स्त्री जक्कीमव्वेने ११२० में बनवाया था। श्रवणबेलगोलाके शिलालेख । यहां अबतक ५०० लेख नकल किये गये हैं। (१) चिक्कवेट-पर १से १७४ तक, ४०८ से ४७५ तक व ४९१-४९२ हैं। (२) दोद्दावेटपर-१७५ से ३२६ व ४७६ से ४७९ व ४९५से ४९९ तक हैं। (३) ग्राममें–३२७से ३७७ तक, ४८० से ४९० तक, ४९३--४९४, ५०० । (४) निकटके ग्रामोंमें ३७८से ४०७ तक (पहली पुस्तकमें मात्र १४४ ही लेख थे) इन ५००में ४५ नागरी लिपि, १७ महाजनी, ११ ग्रन्थ और तामील एक वहेलुत्त, शेष सब कनड़ी भाषामें हैं। श्रीभद्रबाहु और महाराज चन्द्रगुप्त सम्बन्धी लेख। , छोटे पर्वतका नाम चंद्रगिरि व उसपर वस्तीका नाम चंद्रगुप्त वस्ती महाराज चंद्रगुप्तके नामसे प्रसिद्ध है। इसीपर भद्रबाहु गुफा भी है । गुफामें जो लेख नं० १६६ (७१) करीब ११०० का है वह श्रीभद्रबाहुकी चरण पूनाके लिये है । (२) सरिंगापाटनके पास कावेरी नदीके उत्तर लेख नं० १४७ व १४८ सन् ९०० के करीब हैं। उनमें इन दोनों महात्माओंका वर्णन है । (३) यहांका लेख न० ३१ (१७-१८) करीब सन् ६५० का । इसमें इनका उल्लेख है तथा यह भी लिखा है कि जो जैनधर्म उस समय अपने
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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