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________________ २३२ ] प्राचीन जैन स्मारक | देहांत हो गया तब कृष्णराज ओडयर प्रथम (१७१३ - १७३१) के राज्य में अन्नप्पाने इसको पूर्ण किया । यह चिक्कदेवराजका पोता था । इस सरोवरका वर्णन ७ वी शताब्दी के लेखमें भी आया है अतएव यातो इसका इस समय अन्नप्पाने जीर्णोद्धार कराया या वह सरोवर दूसरा होगा । जक्की कट्टे - भंडारवस्तीके दक्षिण छोटा सरोवर । इसके पास दो पाषाणोंपर जैन मूर्तियां हैं। उनके नीचे लेख नं० ३६७ और ३६८ हैं जो कहते हैं कि इसको करीब सन ११२० के सेनापति गंगराजा (मंत्री होयसाल विष्णुवर्द्धनका ) के बड़े भाईकी भार्या जक्की मव्वेने जो सेनापति वोप्पकी माता थी बनवाया । यह देवी श्री शुभचंद्र सिद्धांतदेवकी शिष्या श्राविका थी । इस देवी की प्रशंसा लेख नं० ११७ (४३) सन् १९२३ में भी हैं। इसमें गंगराजा और उसके तथा देवीके गुरु शुभचंद्र सि० दे० का स्मारक है । दूसरा काम इस देवीका यह है कि इसने बेलगोलासे ३ मील मानेग्राममें एक जिन मंदिर बनवाया था जो अब ध्वंश हो गया है । यह बात उस ग्रामके लेख नं ४०० में भी है । चेन्नाका सरोवर - चैनन्नाने यह सरोवर बनवाया । इसीने बड़े पहाड़ पर एक जैन मंदिर बनवाया था । लेख नं० ३९० के अनुसार यह सरोवर सन १६७३ में बना था । लेख नं० ३६९ ३७५, व ४८८, ४९० भी इसी बात को कहते हैं । निकटवर्ती ग्रामोंके मंदिर | (१) - जिननाथपुर - यह बेलगोलासे उत्तर १ मील है । लेख नं० ३८८ के अनुसार इस ग्रामको राजा विष्णुवर्द्धन के सेना -
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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