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________________ २२४] प्राचीन जैन स्मारक । नं० १८९के समान (२३) कुन्थुनाथ पल्यंकासन ३ फुट (२४) और (२५) धर्मनाथ और नेमिनाथ हरएक ४ फुट (२६) अभिनन्दन ४ फुट, लेख नं० १९३ कहता है कि इसे करीब सन् १२००के श्रीनयकीर्ति सि० च०के शिष्य श्रीबालचंद्रदेव उनके शिप्य श्रावक अंकी सेठीने स्थापित की । (२७) श्री शांतिनाथ ४ फुट-लेख नं० १९४ कहता है कि इसे सन् ११८०के करीब श्रीनयकीर्ति सि० च के शिष्य श्रावक रामी सेठीने स्थापितकी (२८) से (३०)तक श्रीअरनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत हरएक ९ फुट। पश्चिमकी ओर(३१) पार्श्वनाथ ६ फुट (३२) और (३३)सीतलनाथ और पुष्पदंत हरएक ४ फुट (३४) पार्श्वनाथ ४ फुट (३५) अजितनाथ (३६) सुमतिनाथ (३७) वर्धमान । ये तीनों हरएक ४ फुट। लेख नं० १९५ श्रीअजितनाथपर कहता है कि इसे सन् १२००के करीब नाथचंद्रके शिष्य बालचंद्रदेव उनके शिष्य श्रावक भानुदेव हेगड़े चुंगी अफिसरने स्थापितको । श्री सुमतिनाथपर लेख नं० १९६ कहता है कि इसे नयकीर्तिके शिप्य विदिय सेठीने सन् ११ ८ ० में स्थापितकी । श्री वर्द्धमानपर लेख नं० १९७ लेख नं० १८७के समान वासब सेठीका है जिसने २४ प्रतिमाएं स्थापित की (३८) शांतिनाथ ४ फुट (३९) मल्लिनाथ ४ फुट लेख नं० १९८ कहता है कि इसे सन् १२००के करीब बलदेवचंद्र मुनिके शिप्य श्रावक कलाले निवासी महादेव सेठीने स्थापितकी (४०) कूष्मांडिनी देवी बैठी हुई नं० २के समान १॥ फुट ऊंची, इसके बाएं हाथमें फल हैं व दाहने हाथमें एक बालकके मस्तकपर रक्खा है (४१) श्री बाहुबलि ६ फुट (४२) चंद्रप्रभु बैठे आसन ३ फुट यह सफेद संग
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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