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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [१५९ mmmmmm गए । वहांके पांड्य राजाको वश किया। इसका पुत्र नारसिंह द्वि० था। इसने उत्तर पश्चिममें सियनोंको दबाया था। यह अधिकतर दक्षिण पूर्व में युद्धोंमें लगा रहा । इसने पांडयोंको दवाया, कादव था पल्लबोंको जीता और भगर राजाओंको वश किया तथा चोल राजाको वश करके उसे गद्दीपर फिर बिठा दिया। इस समय सियनोंने उत्तर पश्चिमके भागोंमें दखल जमाना शुरू किया। तब सोमेश्वर सन् १२३५में राज्यपर आरूढ़ हुआ। तब सियन लोग दोरसमुद्र तक बढ़ आए परंतु सोमेश्वरने भगा दिया तथापि सियनोंके सेनापति सालु व टिक्कमने कुछ सफलता प्राप्त कर ली। होयसाल राना तब चोलदेशमें कन्ननूर या विक्रमपुर (श्रीरंगम और त्रिचनापलीके पास)में रहने लगा। वह १२५४में मरा तब उसके देशके भाग होगए । दोरसमुद्र और प्राचीन कन्नड़ राज्य उसके बड़े पुत्र नारसिंह त० को तथा तामीलदेश व कोलर जिला दूसरे पुत्र रामनाथको दिया गया । तब न सिंहने सियनोंको उनके राजा महादेव सहित भगा दिया। इसके पीछे बल्लाल तृ० के समयमें सन् १२९१ में फिर सब राज्य एकमें मिल गया। इसके राज्यमें मुसल्मानोंने सन् १३१० में हमला किया, यह हार गया और वीरुपक्षपट्टनमें मर गया । तब इसका पुत्र वीरुपक्ष बल्लाल गद्दीपर सन् १३४३ में आया । परंतु होयसालोंका बल समाप्त होचुका । विजयनगर-राज्य विजयनगरमें सन् १३३६ में स्थापित हुआ । इनमें कृष्ण राजा बहुत बलवान हुआ। इसने उम्मत्तूर ( मैसूरजिला )के सर्दार गंगराजाके किलेको ले लिया । यह कृष्णराजा संस्कृत और तेलुगू साहित्यका बड़ा भारी रक्षक था।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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