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________________ १४८] प्राचीन जैन स्मारक। गदेशके गंगवंशी राजाओंको Pliny प्लिनी लेखकने गंगरिंदय कलिंगप लिखा है-गंगवाड़ीकी चौहद्दी इस भांति दी हुई है। उत्तरमै नरनदले (पता नहीं), पूर्वमें टोंगनाद, पश्चिममें समुद्रचेरा (ट्रावनकोर और कोचीन) की ओर, दक्षिणमें कोंगु (सलेम और कोयम्बटूर) । इस गंगवंशके राजाओंका सरनाम कोंगुनीवर्मा था। जिन गंगवंशी रानाओंने मैसुरमें राज्य किया उनकी सूची आगे है गंगवंशी राजा । (१) कोंगणीवर्मा माधव सन् १०३ (२) किरिया माधव १३) हरिवंश २४७ से २६६ (४) विष्णुगोप (५) तादंगली माधव सन् ३५० (६) अविनीत कोंगणी सन् ४२५ से ४७८ (७) दुर्विनीत , ,, ४७८ से ११३ (८) मुश्कर या मोक्कर (९) श्री विक्रम (१०) भूविक्रम श्रीवल्लभ सन् ६७९ (११) शिवमार प्रथम, नवकाय, या एथ्वीकोगणी ६७९-७१३ (१२) पृथ्वीपति, पृथुघोस या भारसिंह ७१३ से ७२६ (१३) श्री पुरुष मुत्तरस परमांदी पृथ्वीकोंगणी ७२६ से ७७७ (१४) शिवमार हि ( संगोथी ) ७८० से ८१४ (१५) विजयादित्य ८१४ से ८६९ (१६) राचमल्ल प्रयम सत्त्यवाक्य ८६९ से १९३
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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