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________________ - मदरास व मैसूर प्रान्त। [९७ तापिताखिल जीव पाप निधान कालज वेदना । ताव पावक तापिताखिल जीव लोक महादवी ॥ तावकागम वारि वाह जलैर्यशामि सुखावहैः ॥ देव. ५ ॥ भावनाविषये जने परमौषधे भवतीह मे। देवपादितमीशने न हि वेदना विविधा मये ।। सेविते पग्या मुदा किम तेन लोचनगोचरे ॥ देव ॥ ६ ॥ भाविते समयकनाथ महातपोधन मानसे । देव राघव सूनुना महिते कुशेन लवेन च ॥ तावके परिभावयेऽनघ लालक पद पदे ॥ देव० ॥ ७ ॥ यवमिंधन जालजालकथाभिशप्रणीमहे । देवपाद सरोजयोगगुराग मे च भवे भवे ॥ का पता टनिरुदा ग्ब शोभि रोडित पावन: । देवनायक दीपनायक देव दीप कुढीपते ॥ ८ ॥ नोट-इन अटक को सुनकर लिखनेमें सम्भव है भूलें रह गई हैं उन्हें विद्वजन सम्हाल लेवें । इस मंदिर में एक पाषाणमें बड़ा शिलालेख है उसमें तामील अक्षरोंमें संस्कृत व तामील भाषामें लेख है । संस्कृत भाग दिया जाता है । भाषा का भाव मात्र है...... ॐ श्रीमत् परम गंभीर माहादामोघलांक्षणं । नीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शापनं जिनशासनम् ॥ भव्यननपरमशरण जाति गरामरणकर्मनाशकरं । संसारतरणहेतुं मिनेन्द्रवर शासनं जयतु ।। भद्रं भूयाग्जिनेन्द्राणां शासनायऽधन शिने । कुतीर्थध्वांतसंघातयति भन्नघनभानवे ॥ श्रीमजिनशासने भावतो महाते महावीरवईमानतीर्थकरम्य
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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