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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त | [ ७३ विक्रम उनके पुत्र महाराज राजमलने शाका ८९९ में मन्दिर बनवाया । नं० २ - बाई ओरसे दूसरी मूर्तिके नीचे लेख है - " श्री आर्यनंदि भट्टारक प्रतिमे मादिदार । " नं० ३ - श्री बानराय गुरुकुल अप्पाभवनंदि भट्टारक शिप्यर अप्पा देवसेन भट्टारक प्रतिमाः (वानरायके गुरु भवनंदिके शिष्य देवसेन द्वारा ) | नं० ४ - श्री बालचन्द्र भट्टारक शिष्यर अज्जनंदि भट्टारक । मदरास एपिग्राफी दफ्तर में यहां के चित्रादि नीचे प्रकार हैं(१) नं ० सी ९ शिवमंदिर के दक्षिण जैन मूर्तियोंका चित्र | (२) नं० सी १० गुफाके दक्षिणपूर्व (३) नं० मी ११ उत्तर "" 99 गुड़ियत्तन तालुका | (११) लाहेरी - रेलवे स्टेशन - यहां कुछ प्राचीन जैन स्मारक हैं। (१२) पसुपत्तूर - गुडियत्तन रेलवे स्टेशनसे २ मील | यहां प्राचीन जैन स्मारक हैं । 1 (१३) कोवनूरु-गुड़ियत्तन से पूर्व ८ मील । ग्राममें जैन स्मारक हैं । 19 "" 27 99 "7 "" (१४) सोरामूर - गुड़ियत्तन से पूर्व १३ मील व विरिचिपुरम् रेलवे स्टेशन से दक्षिण पूर्व ३ मील। यहां कुछ जैन स्मारक हैं । (१५) तिरुमणि - गुड़ियत्तनसे पूर्व १४ || मील । विरिची पुरम् रे० टे० से पूर्व ४ मील । यहां कुछ जैन स्मारक हैं । करवेटनगर जमीदारी । (१६) अरुनगुलम् - तिरुत्तरुसे पूर्व ८ मील । यहां बहुत प्रसिद्ध प्राचीन जैन मंदिर श्री धर्म तीर्थकरका है उनको पार्श्वनाथ
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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