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________________ horerita हिन्दी साहित्य में इस प्रकार की रहस्य - भावना हम विशेष रूप से सूफी, कबीर और मीरा की साधना में पाते हैं । 2. सफी रहस्य भावना : 261 भारतीय सूफी कवियों ने सूफीमत में प्रचलित प्रायः सभी सिद्धान्तों को अन्तर्भुक्त किया है और उन पर भारतीय परम्पराम्रों का प्रावरण डाला है। उसकी परमसत्ता अलख, प्ररूप एवं प्रगोचर है, फिर भी वहा समस्त जगत के कण-करण में व्याप्त है— बलख रूप अकबर सो कर्ता । वह सबसौं, सब मोहितों भर्ता ।" वह सृष्टि का कारक धारक और हारक है ।" वह महान् शक्तिशाली, करुणाशील मौर सौन्दर्यशील है | कर्तव्य भौर करुणा उसके प्राधार स्तम्भ हैं जिस प्रकार सरोवर में पड़ा प्रतिबिम्ब समीपस्थ होते हुए भी प्रग्राह्य है उसी प्रकार सर्वव्यापक परमात्मा का भी पाना सरल नहीं है ।" उस परमात्मा के मूर्त और अमूर्त दोनों स्वरूपों का air सूफी कवियों ने किया है । मात्मा-परमात्मा की मद्वैत स्थिति को भी उन्होंने स्वीकार किया है । जो भी अन्तर है वह पारमार्थिक नहीं, व्यावहारिक है । उसका व्यावहारिक स्वरूप मायागभित होता है । साधक इन चारों प्रवस्थानों को पार करने में परमात्मा के गुणों का चिन्तन (जिक) करता है, राग, ग्रहंकार आदि मानसिक वृत्तियो को दूर करता है (फिक्र ) अपने धर्म ग्रंथ (कुरान शरीफ) का अभ्यास ( तिलवत) करता है और तदनुसार नामस्मरण, व्रत, उपवास, दानादिक क्रियायें करता है । 1. सूफी साधना में साधक की चार अवस्थाओं का वर्णन मिलता है (1) शरीमत श्रर्थात् प्राचार या कर्मकाण्ड का पालन (2) तरीकत अर्थात् बाह्य क्रियाकाण्ड को छोड़कर प्रान्तरिक शुद्धि पूर्वक परमात्मा का ध्यान करना । (3) हकीकत अर्थात् परमात्मा के यथार्थ स्वरूप का ज्ञान होना, प्रोर (4) मार्फत् अर्थात् सम्यक् साधना द्वारा श्रात्मा को परमात्मा में विलीन हीने की क्षमता प्राप्त होना । सूफी सन्तों ने प्राध्यात्मिक सत्ता को प्रियतम के रूप में देखा है औौर उसके दर्शन की Fene में अपने को डुबोया है । इसी में वे समरस हुए हैं। 2. प्रखरावट-जायसी, पृ. 305, चित्रावली- उसमान, पृ. 2. भाषा प्रेम रसशेख रहीम, पद्मावत जायसी, पृ. 257-8 इन्द्रावती-नूरमुहम्मद, पृ. 54
SR No.010130
Book TitleMadhyakalin Hindi Jain Sahitya me Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpalata Jain
PublisherSanmati Vidyapith Nagpur
Publication Year1984
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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