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________________ beteetartettetett.tertretetretetetretertreteret. Det tretetreteretertretung बनारसीविलासः ३५ titattttttituttituttituttttttttott यः पुण्यद्रुमखण्डखण्डनविधौ स्फूर्जत्कुठारायते ___ तं लुप्तव्रतमुद्रमिन्द्रियगणं जित्वा शुभंयुभव ॥ ६९ ॥ हरिगीतिका। जे जगत जनको कुपंथ डारहिं, बक्र शिक्षित तुरगसे । जे हरहिं परम विवेक जीवन, काल दारुण उरगसे ।। जे पुण्यवृक्षकुठार तीखन, गुपति व्रत मुद्रा करें । ते करनसुभट प्रहार भविजन, तब सुमारग पग धेरै ॥ ६९॥ शिखरिणी। प्रतिष्ठां यनिष्ठां नयति नयनिष्ठां विघटय___त्यकृत्यप्वाधत्ते मतिमतपसि प्रेम तनुते । विवेकस्योन्सेकं विदलयति दत्ते च विपदं पदं तद्दोपाणां करणनिकुरुम्बं कुरु वशे ॥ ७॥ घनाक्षरी। ये ही है कुगतिके निदानी दुख दोष दानी; ___ इनहीकी संगतसों संग भार बहिये । इनकी मगनतासों विभोको विनाश होय, __इनहीकी प्रीतसों अनीत पन्थ गहिये । ये ही तपभावकों बिडारे दुराचार धारे, ___ इनहीकी तपत विवेक भूमि दहिये । ये ही इन्द्री सुभट इनहिं जीतै सोई साधु, इनको मिलापी सो तो महापापी काहिये ॥ ७० ॥ ttttttttttttttttttttttttttttting ut.tituttitutet.itten
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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