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________________ retaket.t.titut.t.tt.tetst.teteterst.t.x.............tattool जैनग्रन्थग्नाकरे sottraetox.to toto triteretetrete tree tretretetott tretetett .tt.tetetorttrtstettetetotete tretetet.cat मरहटा छन्द। जो कीरति गोपहि, धरम विलोपहि, करहि महाअपराध । ॐ जो शुभगति तोरहि, दुरगति लोरहि, जोरहि युद्ध उपाध ॥ जो संकट आनहिं, दुर्गति ठानहिं, बधबंधनको गेह । सब औगुण मंडित, गहै न पंडित, मो अदत्तधन यह ॥३५॥ हरिणी । परजनमनःपीडाक्रीडावनं वधभावना भवनमवनिव्यापिव्यापल्लताधनमण्डलम् । कुगतिगमने मार्गः स्वर्गापवर्गपुरार्गलं नियतमनुपादेयं स्तेयं नृणां हितकाविणाम् ॥ ३६ ॥ (३१ मात्रा) सवैया। जो परिजन संताप केलिवन; जो बध बंध कुबुद्धि निवाम । जो जग विपतिबलधनमंडल; जो दुर्गति माग्ग परकास ॥ जो सुरलोकद्वार दृढ आगल; जो अपहरण मुक्ति सुखवास। सो अदत्तधन तजत साधुजन; निजहितहेत वनारसिदास ३६ शीलाधिकार. शार्दूलविक्रीडित । * दत्तस्तेन जगत्यकीर्तिपटहो गोत्रे मपीकूर्चक श्चारित्रस्य जलाञ्जलिर्गुणगणारामस्य दावानलः । : संकेतः सकलापदां शिवपुरद्वारे कपाटो दृढः शीलं येन निजं विलुप्तमखिलं त्रैलोक्यचिन्तामणिः ३७ * कम समय र पर العمل المعتليتعلیلی) و علو گرموله عامرة معمار می رود به گره هلوگرمیلی و علوم موڈمٹیڈیمیل و ایمیل
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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