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________________ जनोंकी भलाई विना कहे ही दुष्टोंपर प्रकाशित हो जाती है और उनके पापका बुरा चित्र उनकी आंखोंके सामने खेंच देती है । ___ जब कोई मनुष्य किसी बुराईके मार्गमें प्रविष्ट होता है तो वह अपने आपको झट उन लोगोंकी संगतिमें देखता है जिन्होंने वही मार्ग ग्रहण किया है । जब कोई मनुष्य उत्तम मार्गपर चलता है तो वह उस उत्तम मार्गमें चलनेवालोंके संग हो जाता है । मानुषी खभावका यही नियम है । जब कोई मनुष्य अपनी भीतरी भलाईसे अलग हो जाता है तो वह भले लोगोंसे भी अलग हो जाता है और अपने ही जैसे लोगोंके साथ चलने फिरने लगता है । यह एक कारण है जिससे दुष्ट मनुष्य इस संसारमें या किसी और मनुप्यमें भलाई नहीं देखते । इन लोगोंने अपने आपको भलाईसे अलग करलिया और भलाई तक पहुंच नहीं सकते । पर बुराईकी ओर इनकी आंखें और मन खुले हुए हैं इस लिए इन्हें बुराई ही बुराई दिखाई देती है. क्योंकि उन्हींके विचारवाले लोग इन्हें सदा बुराईकी वार्ता सुनाते रहते हैं। ___ जब एक बुरा मनुष्य अच्छे मनुप्यमे मिलता है तो वह उससे अपने बुरे विचार और कामोंके छुपानेका यत्न करता है; पर ज्यों ही वह किसी दूसरे बुरे मनुष्यके संग मिलता है त्यों ही वह अपने हृदयका सारा मर्म निर्लज्ज होकर उसके आगे खोल देता है और इस बातसे प्रसन्न होता है कि मुझे मेरा साथी मिल. गया है। संसारमें एक ओर तो चोरों, जुआरियों और अपराधियों के
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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