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________________ ( ३८ ) पहले बड़ी २ बातें मनमें सोच लेनी चाहिये अर्थात् वह काम कितना है, उसको किस क्रम और किन २ उपायोंसे किया जाए, उसके करनेका क्या उद्देश्य है और उसकी समाप्तिसे क्या प्रयोजन सिद्ध होगा । जो काम विना सोचे समझे किया जायगा, उसके प्रारम्भ करने में सोच विचारसे ठीक २ उद्योग नहीं किया जाता और अन्त में सिद्धि नहीं प्राप्त होती । (ङ) छोटे २ काम और कृत्य । 1 हम पहले बता चुके हैं कि प्रत्येक कामका प्रारम्भ ठीक २ और भले प्रकार होना चाहिये; अर्थात् पहले सोच समझकर उस काम करनेके प्रकार, उपाय और फल जान लेने चाहिये, क्योंकि जो काम पहलेहीसे सोच समझकर किया जाता है उसीमें सिद्धि हो सकती है । जो मनुष्य अपने विचारोंके तत्त्व और महत्वपर ध्यान रखता है और जो बुरे भावोंको दूर करके अच्छे भाव वा विचार मनमें भरता रहता है, अन्तमें वह यह जान लेगा कि जो फल वह भोगता है उसके विचार ही उन फलोंके प्रारम्भ हैं, और विचार ही उसके जीवनकी प्रत्येक घटनामें प्रभाव डालते हैं, और इसी कारण शुद्ध और उत्तम विचारोंसे शान्ति और सुख प्राप्त होता है और अशुद्ध और अधम विचारोंसे घबराहट और दुःख मिलता है । अब हम यह बताना चाहते हैं, कि छोटे २ कामों और कृत्यों के करने में विषाद और हर्ष विद्यमान हैं । इसका यह तात्पर्य नहीं है कि कृत्यमें ही विषाद वा हर्ष उत्पन्न करनेकी कोई शक्ति है ।
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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