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________________ चाहिये विपरीत इसके तुम्हें आगेके लिए दुगने उत्साह और साहससे काम करना चाहिये । व्यायाम बड़ी अच्छी वस्तु है, इससे मनुष्य नीरोग रहता है, शरीर सुडौल और सुन्दर निकल आता है, भूख अधिक लगती है, जो खाओ सो पच जाता है और जी प्रसन्न रहता है। इसके अतिरिक्त एक बात और है जिसका तुम्हें अवश्य ध्यान रखना चाहिये । कुछ लड़के हट्टे कट्टे होते हैं पर और कुमार्गगामी लड़के उन्हें बिगाड़ देते हैं और इस कारण उनका सारा यौवन और सौन्दर्य नष्ट हो जाता है और इसी लिए उनका बुद्धिचातुर्य भी जाता रहता है । तुम जानते हो कि मुस्थ मनके लिए सुस्थ शरीरका होना अवश्य है । ये सब बातें सोचकर तुम्हें चाहिये कि बुरी संगतसे बचो और उन सब बातों से दूर रहो जिनसे आचरण बिगड़े और जीवन अपवित्र हो जाए । इस मंसारमें बहुतसी वस्तुएँ ऐसी हैं जो हमें बुगईकी ओर ले जाती हैं और उनसे बचनेकी सबसे उत्तम रीति यही है कि हमें सदा अच्छे काम करने लगे रहना चाहिये। (घ) सबमे पिछली पर सबसे उत्तम शिक्षा यह है कि हम धर्मसम्बन्धी कृत्योंको अर्थात् वश्यता परिश्रम आदिकको भली भांति समझें और उनको अपने जीवन में वर्ते, और सभ्य जातिकी नाई अच्छे आचरण मीखें और सुशील बने । इन सब बातोंकी आवश्यकता हम पहले तुम्हारे आगे वर्णन कर चुके है और बहुधा तुम्हारी पढ़ाईकी पुस्तकोंमें भी इन बातोंका व्याख्यान दिया हुआ है और तुम्हारे शिक्षक भी प्रायः तुम्हें यही बातें सिखाते रहते हैं । तुम्हारे जैसे छात्रों के लिए सर्वोत्तम उपदेश यह है कि
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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