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________________ यही प्रार्थना करो कि परमात्मा तुमको बुद्धि दे और तुम्हारी प्रवृत्ति उत्तम और धार्मिक कामों में हो और तुम अपने जीवनमें परिश्रम और सोच विचारसे काम लो और परमेश्वरपर भरोसा रक्खो । ३. (क) हिन्दुस्तानकी अगली दशा, भली वा बुरी, बहुत कुछ तुम्हारी ही शक्ति पर निर्भर है। तुम जो आज कलके वंशकी नई पौद वा बच्चे हो अगले वंशके पिता हो । इसलिए तुम्हें विचारना चाहिये कि तुम्हारा बाल्यावस्थामें क्या कृत्य है । बहुतसे लोग यह कहते हैं कि आज कलकी अंग्रेजी पाठशालाओंकी शिक्षासे उत्तम और व्युत्पन्न पुरुष बनकर नहीं निकलते जैसे कि पुरानी देशी पाठशालाओंसे पढ़कर निकलते थे; वरञ्च अब जो युवा पुरुष पढ़कर निकलते हैं उनमें पल्लवग्राही पांडित्य होता है, वे निरे अभिमानसे भरे होते हैं और अपने शील और गुणोंकी वृथा बड़ाई करते रहते है । आज कलकी विद्यासे उनमें निरर्थक स्वतन्त्रता उत्पन्न हो जाती है, वे अपने बड़ोंका ठीक २ सम्मान और आदर नहीं करते, उनके आचरण बिगड़ जाते है और वे पुरुषार्थहीन और सहजचकित हो जाते हैं । हम ठीक २ निर्णय नहीं कर सकते कि ये दूषण कहां तक ठीक हैं, परन्तु हम यह कह सकते हैं कि अंग्रेजी और नागरी पुस्तकें जो लड़कोंको मिडल और हाईस्कूलोंमें पढ़ाई जाती है उनमें इतनी नीतिशिक्षा और उत्तम भाव भरे हुए हैं कि यदि वे लड़कोंको भली प्रकार समझाकर पढ़ाई जाएं और यदि शिक्षक आप आदर्श बनकर दिखाएं और उन पुस्तकोंके
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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