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________________ BOOSOSOSOLO CONTACT FOR PEOPALATATES कविवर भूधर दासविरचित- २५, १ लहरे । एरे मेरे वीर ! काहे होत है अधीर यामें, कोऊको न सीर तू अकलो आप सह रे । भये दिलगीर कछू पीर न विनसि जाय, याहीतें सयाने तू तमासगीर रह रे ॥ ७१ ॥ होनहार दुर्निवार । __ कैसे कैसे बली भूप भूपर विख्यात भये, वैरीकुल कांपे नेकु भोंहोंक विकारसों। लंधे गिरि सायर दिवा यरसे दिपें जिनों, कायर किये हैं भट कोटिन हुँकारसों ॥ ऐसे महामानी मौत आय हू न हारमानी, उतरे न नेकु कभू मानक पहारमों । देवसों न हारे पुनि दानेसों न हारे और, काहसों न हारे एक हारे नहारसों ॥ ७२॥ कालसामर्थ्य । ___ लोह मई कोट कई कोटनकी ओट करो, काँगुरेइन तोपरोपि राखो पट भरिक । इन्द्र चन्द्र चौंकायत है। चौकस ह चौकी देहु, चाव रंग चमू चहूं ओर रहो घरिक ॥ तहाँ एक भोहिरा बनाय बीच बैठो पुनि, बोलो मत कोऊ जो बुलाव नाम टेरिक । ऐसी पर पंच पांति रचो क्यों न भांति भांति, कैसेहू न छोरै जम देख्यो हम हेरिकै ॥ ७३ ॥ __१ साझा । २ सागर-समुद्र । ३ दिवाकर सूर्य । ४ दानव-दैत्य । 3 ५ सेना। 302. Vale Velorex VOSSO DOVOLVOVOG MOSTOVOLVO فريق مدينتنقیده رنت منتشرة قرون کرده در قران رقیق رفتند فقیقت DMADASBO0BSROLOGOOOLSTONEDAARAHATANEOGOLDOASDAYSORGHOMSOLMAGARH
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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