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श्रीपरमात्मने नमः। स्वर्गीय कविवर भूधरदासजीविरचित
जैनशतक।
जिसको मुम्बीस्थ-जैनग्रन्थरत्नाकरकार्यालयके मालिकने
देवर्ग जिला मागरनिवासी
कविवर नाथूराम प्रेमास संशोधन कराकर
मुम्बयीके निर्णयसागर छापेखानमें छपाकर
प्रसिद्ध किया ।
वीरनिर्वाण संवत २४३३ । ईस्वी सन १९०७ । प्रथमावृत्ति २००० प्रति] * [मूल्य J॥ आने ।