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________________ सुलभ ग्रन्थमालाका विज्ञापन । ___ अनुभवसे विदित हुआ है कि, पुस्तकोंकी कीमत जित नी कम होती है, उतना ही उनका अधिक प्रचार होता है। है इसलिये श्रीजैनग्रन्थरत्नाकरकी ओरसे सुलभजैनग्रन्थमालानामकी एक सीरीज प्रकाशित करनेका विचार किया गया है। इस ग्रन्थमालाकेद्वारा जितनी पुस्तकें प्रकाशित होंगी, वे लाग-1 है तके दामोंपर अथवा उसमें भी यथासंभव घाटा खाकर बेची 5 जावेंगी । लागतके दामों में पुस्तककी बनवाई, प्रूफ संशोधन ? कराई. छपाई, बायडिंग बगैरह सब खर्च शामिल समझे जावेंगे। रकमका व्याज नहीं लिया जायगा । घाटेकी रकम कार्यालयके धर्मादा खातेसे अथवा दूसरे धर्मात्माओंसे पूरी कराई जायगी। ___ सुलभ ग्रन्थमालाकी यह दूसरी पुस्तक है । यह इन्दौर निवासी शेठ ऋषभचन्दजी काशलीवालकी स्वर्गवासिनी पत्नी सौ० चिरौंजीबाई-के स्मरणार्थ प्रकाशित की जाती 5 है। इसकी १५०० प्रतियोंका कुलखर्च लगभग ५० रुपया पड़ा है । इसलिये मूल्य आधा आना रक्खा जाता है। । प्रन्थमालाकी तीसरी पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित की जायगी । र बम्बई-हीराबाग।। निवेदकर पौषकृष्णा पश्चमी । श्रीवीर नि० स० २४३७ । श्रीनाथूरामप्रेमी। ASEASE INSESEPSERSERREDEEPREERSEASEASEASESSURGA
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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