SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नोट-बहुत से महानुभावों को सम्मति है कि इस यंत्र में नीचे जहाँ पर 'माहु लोगोनमा' लिखा है यहाँ से 'ही' का वलय दकर 'अरहन मंगलं' नथा 'अ० मि' आदि को भी यहीं मे वलयाकार में लिखना चाहिये। २ श्रष्ट मंगल द्रव्य-इनके नाम निम्न प्रकार हैं -भारी, पंम्बा ३ कलश, ४ ध्वजा,५ चमर, ६ ठोरणा, ७ छत्र, और ८ दपरण । यदि ये अष्ट मंगल द्रव्य न मिल सके तो एक थाल में या कई छोटी २ रकाबियों में केमर से इन के आकार बना लेने चाहिये। झारी पंखा करूण ध्वजा चमर ठोणा छत्र दर्पण ३ वेदी-वेदी तीन कटनी वाली होनी चाहिए। यह आम तौर पर लकड़ी की बनी-बनाई मिल जानी है, यदि न मिले तो इंटों की बना लेनी चाहिये। सिद्ध यन्त्र शास्त्र अष्ट मंगल द्रव्य
SR No.010126
Book TitleJain Viaha Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumerchand Jain
PublisherSumerchand Jain
Publication Year
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy