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________________ ( ६० ) प्र० २१ - मै ज्ञान दर्शन उपयोगमयी जोवतत्व हूं - इस वाक्य पर 'ताको न जान' आदि ८ बोलो को समझाओ ? प्र० २२- मेरा कार्य ज्ञाता द्रष्टा हे आदि ८ बोलो को समझाइये ? इस पर 'ताको न जान' प्र० २३ - विनमूरत पर 'ताको न जान' आदि ८ बोलो को समझाइये ? प्र० २४ - चिन्मूरत पर 'ताको न जान' आदि बोलो को समझाइये ? ८ प्र० २५-अनूप पर 'ताको न जान' आदि आठ वोलो को समझाइये ? प्र० २६ - शरीर की अनुकूलता से मै सुखी - इस वाक्य पर आठ बोलो को समझाइये ? प्र० २७ - नौ प्रकार का पक्ष कौन कौन सा है ? प्र० २८ - अत्यन्त भिन्न पर पदार्थो के पक्ष पर तीन प्रश्नोत्तरो को समझाइये ? प्र० २६ - आंख-कान-नाक आदि औदारिक शरीर का पक्ष पर तीन प्रश्नोत्तरों को समझाइये ? प्र० ३० - तैजस- कार्माण के पक्ष पर तीन प्रश्नोत्तरो को समझाइये ? प्र० ३१ - भाषा मन के पक्ष पर तीन प्रश्नोत्तरो को समझाइये ? प्र० ३२ - शुभाशुभ विकारी भावो के पक्ष पर तीन प्रश्नोत्तरो को समझाइये ? प्र० ३४ - अपूर्ण पूर्ण शुद्ध पर्याय के पक्ष पर तीन प्रश्नो को समझाइये ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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