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________________ (८४ ) . प्र० १०-वीतराग के कितने प्रकार हैं ? प्र० ११-कषाय किसे कहते हैं ? प्र० १२-क्रोधादि कितने-कितने प्रकार के है ? प्र० १३-अनन्तानुबन्धी क्रोध किसे कहते है ? प्र० १४-अनन्तानुबन्धी मान किसे कहते है ? प्र० १५-अनन्तानुबन्धी माया किसे कहते हैं ? प्र० १६-अनन्तानुबन्धी लोभ किसे कहते है ? प्र० १७-क्रोध-मान को क्या कहते है ? प्र० १८-माया-लोभ को क्या कहते हैं ? प्र० १६-अनन्तानुबन्धी क्रोधादि का अभाव कब होता है ? प्र० २०-अप्रत्याक्यान क्रोधादि का अभाव कब होता है ? प्र० २१-प्रत्याख्यान क्रोधादि का अभाव कब होता है ? प्र० २२-संज्वलन क्रोधादि का अभाव कब होता है ? प्र० २३-विज्ञानता का क्या अर्थ है ? प्र० २४-विज्ञानता के कितने प्रकार है ? प्र० २५-चौथे गुणस्थान की वीतराग-विज्ञानता क्या है ? प्र० २६-पांचवे गुणस्थान की वीतराग-विज्ञानता क्या है ? प्र० २७-सातवें छठवें गुणस्थान की वीतराग विज्ञानता क्या है? प्र० २८-१२वें गुणस्थान की वीतराग-विज्ञानता क्या है ? प्र० २६-१३, १४वें, गुणस्थान की वीतराग विज्ञानता क्या है?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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