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________________ ( ३६ ) उ०-प्रश्नोत्तर ४१ से ४८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ५२-ब्रह्मचर्य न रखने का भाव हेय है ओर ब्रह्मचर्य रखने का भाव उपादेय है। इस वाक्य पर आश्रवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर ४१ से ४८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ५३-परिग्रह रखने का भाव हेय है और परिग्रह न रखने का भाब उपादेय है । इस वाक्य पर आश्रवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर ४१ से ४८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ५४-अनशन न रखने का भाव हेय है और अनशन रखने का भाव उपादेय है। इस वाक्य पर आश्रवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए । उ०-प्रश्नोत्तर ४१ से ४८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ५५-सामायिक न करने का भाव हेय है और सामापिक करने का भाव उपादेय है। इस वाक्य पर आश्रवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर ४१ से ४८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ५६-मुनियो को आहारदान न देने का का भाव हेय है और मुनियो को आहारदान देने का भाव उपादेय है। इस वाक्य पर आश्रवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर ४१ से ४८ तक के अनुसार उत्तर दो।
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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