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________________ ( १६) उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० २३-मै मुह से जोर-शोर से बोलता हूं-इस वाक्य पर चारों प्रकार के छह कारक लगाकर समझाइये? उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० २४-मैने चाबी से दुकान का ताला खोला-इस वाक्य पर चारो प्रकार के छह कारक लगाकर समझाइये ? । उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० २५-मैने आख द्वारा चश्मे से ज्ञान किया-इस वाक्य पर चारो प्रकार के छह कारक लगाकर समझाइये? उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र०२६-मैने औजारो से अलमारी बनाई-इस वाक्य पर चारो प्रकार के छह कारक लगाकर समझाइये? उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० २७-मैने भगवान की दिव्यध्वनी से ज्ञान प्राप्त किया-इस वाक्य पर चारो प्रकार के छह कारक लगाकर समझाइये? उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० २८-मैने मिसत्रियो द्वारा सीमेट से मकान तैयार कराया-इस वाक्य पर चारो प्रकार के छह कारक लगाकर समझाइये? उ०-प्रश्नोत्तर १ से १६ तक के अनुसार उत्तर दो।
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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