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________________ • (3) प्रo २३ - अपने को पहिचानने से क्या होगा ? उत्तर - धर्म (सुख) होगा है। प्र० २४ - आत्मा को पहिचाने बिना सुख होता है या नही ? उत्तर - आत्मा को पहिचाने बिना सुख नही होता है । प्र० २५ - पैसे से सुख मिलता है या नही ? उत्तर - पैसे से सुख नही मिलता है । प्र० २६ - अपने को न पहिचाने तो जीव को क्या हो ? उत्तर - जीव को दुख हो । प्र० २७ - धर्म (सुख) जीव मे होता है या शरीर मे ? उत्त-धर्म जीव मे होता है । प्र० २८ - धर्म द्रव्य है या पर्याय ? उत्तर- धर्म पर्याय ( कार्य ) है । प्र० २६-धर्म किसकी पर्याय है ? उत्तर-धम जीव द्रव्य की पर्याय है । प्र० ३० - तुम किस प्रकार धर्म करोगे ? उत्तर- ज्ञान से धर्म होता है अत मै ज्ञान से धर्म करूँगा । प्र० ३१ - धर्म किसमे होता है ? उत्तर - जीव मे धर्म होता है । प्र० ३२ - धर्म किससे होता है ? उत्तर- धर्म ज्ञान से होता है । प्र० ३३ - धर्म किसे कहते है ? उत्तर - आत्मा की समझ को धर्म कहते है । प्र० ३४ - भगवान होना हो तो क्या करना ? उत्तर - भगवान होना हो तो आत्मा (अपने ) को समझना ।
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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