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________________ समझाने का सरल उपाय उत्तन | ईर्या समिति वचन गुप्ति क्षुधा-परिपह | नमस्कार क्षमा जय | संयोग को पृथकता आदि तीन वोल जड जड उत्तमक्षमा ईर्या समिति जड वचन गुप्ति जड । सयोग की क्षुधा परिपह नमस्कार, पृथक्ता जय द्रव्य द्रव्य । द्रव्य । द्रव्य द्रव्य । विभाव की उत्तमक्षमा ईर्या समिति वचन गुप्ति क्षुधा परिपह नमस्कार | विपरीतता जय शक्तिरूप शक्तिरूप | शक्तिरूप । शक्तिरूप । शक्तिरूप परम स्वभाव उत्तमक्षमा ईर्या समिति | वचन गुप्ति क्षुधा परिषहीं नमस्कार की सामथ्यता जय | एकदेश एकदेशभाव | एकदेशभाव एकदेश भाव एकदेश भाव- एकदेश । भाव र्या समिति वचन गुप्ति क्षुधा परिषह नमस्कार स्वभाव की उत्तमक्षमा सामर्थ्यता जय पूर्ण भाव पूर्ण भाव । पूर्ण भाव | पूर्ण भाव | पूर्ण भाव | पूर्ण स्वभाव उत्तमक्षमा ईर्या समिति वचन गुप्ति क्षुधा परिषह नमस्कार की सामर्थ्यता । जय मारतीपाश्रति-दर्शन केन्द्र ।
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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