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________________ (१२) १४५] (११) ध्रव का आलम्बन है वेदन नही है और पर्याय का वेदन है, परन्तु आलम्बन नहीं है। प्रश्न ३३- पर्याय का सच्चा कारण कौन है और कौन नहीं है ? उत्तर-पर्याय का कारण उस समय पर्याय की योग्यता है । वास्तव मे पर्याय की एक समय की सत्ता ही पर्याय का सच्चा कारण है। [अ] पर्याय का कारण पर तो हो ही नहीं सकता है, क्याकि परका तो द्रव्य क्षेत्र-काल-भाव पृथक-पृथक है। [आ] पर्याय का कारण त्रिकाली द्रव्य भी नही हो सकता है क्योकि पर्याय एक समय की है यदि त्रिकाली कारण हो तो पर्याय भी त्रिकाल होनी चाहिए सो है नही । [इ] पर्याय का कारण अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय भी नही हो सकती है क्योकि अभाव मे से भाव की उत्पत्ति नही हो सकती है । इसलिए यह सिद्ध होता है कि पर्याय का सच्चा कारण उस समय पर्याय की योग्यता ही है । प्रश्न ३४-मुझ निज आत्मा का स्वद्रव्य-परद्रव्य क्या-क्या है, जिसके जानने-मानने से चारो गतियो का अभाव हो जावे ? __उत्तर-(१) स्वद्रव्य अर्थात निर्विकल्प मात्र वस्तु परद्रव्य अर्थात सविकल्प भेद कल्पना, (२) स्वक्षेत्र अर्थात आधार मात्र वस्तु का प्रदेश, पर क्षेत्र अर्थात प्रदेशो मे भेद पडना (३) स्वकाल अर्थात वस्तुमात्र को मूल अवस्था, परकाल अर्थात एक समय की पर्याय, (४) स्वभाव अर्थात वस्तु के मूल की सहज शक्ति, परभाव अर्थात गुणभेद करना। [समयसार कलश २५२] प्रश्न ३५-किस कारण से सम्यक्त्व का अधिकारी बन सकता है और किस कारण से सम्यक्त्व का अधिकारी नहीं बन सकता ? उत्तर-देखो । तत्त्व विचार की महिमा । तत्त्व विचार रहित बादिक की प्रतीति करे, बहुत शास्त्रो का अभ्यास करे, व्रतादि पाले, तत्पश्चरणादि करे, उसको तो सम्यक्त्व होने का अधिकार नही और
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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