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________________ ( ४३ ) पर्याय से मात्र क्षणिक अवस्था देखी जाती है, तो वस्तु अनित्य प्रतीत होती है । प्रश्न ६६ - अनित्य की सिद्धि कैसे होती है। ? उत्तर -- ""यह वह नही है" इस ज्ञान से इसकी सिद्धि होती है, जैसे -- जो मारीच है वह शेर नही, जो शेर है वह महावीर नही, इससे अनित्य की सिद्धि होती है । प्रश्न १०० - आत्मा नित्य भी है और अनित्य भी है इसमें अनेकान्त किस प्रकार है ? उत्तर--आत्मा द्रव्य-गुण की अपेक्षा नित्य है और आत्मा पर्याय की अपेक्षा अनित्य है । प्रश्न १०१ - नित्य- अनित्य मे अनेकान्त कहाँ आया ? उत्तर - आत्मा द्रव्य-गुण की अपेक्षा नित्य ही है अनित्य नही है यह अनेकान्त है और आत्मा पर्याय की अपेक्षा अनित्य ही हैं नित्य नही है यह अनेकान्त है । प्रश्न १०२ -- कोई कहे आत्मा द्रव्य-गुण की अपेक्षा नित्य भी है और अनित्य भी है ? उत्तर --- यह मिथ्याअनेकान्त है । प्रश्न १०३ – कोई कहे आत्मा पर्याय की अपेक्षा अनित्य भी है और नित्य भी है ? उत्तर - यह मिथ्या अनेकान्त है । प्रश्न १०४ - नित्य- अनित्यपना किसमें होता है ? उत्तर- प्रत्येक द्रव्य गुण मे अनादिअनन्त नित्य- अनित्यपना होता है | प्रश्न १०५ -- नित्य- अनित्य पर तीनों प्रकार के भेद विज्ञान लगा कर समझाइये ? उत्तर-७७-७८-७९ प्रश्नोत्तर के अनुसार उत्तर दो ।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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