SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 225 ) है यह भी नही है क्योकि वस्तु सब विकल्पो से रहित है यह शुद्ध द्रव्यार्थिक नय का पक्ष है। _ (758) प्रश्न १८२-अस्ति नास्ति पर प्रमाण का प्रयोग बताओ? उत्तर-जो परस्वरूप के अभाव से नही है, वही स्वरूप के सद्भाव से है, तथा वही अनिर्वचनीय है यह सब प्रमाण पक्ष है। (758) प्रश्न १८३-अनित्य नय का प्रयोग बताओ? उत्तर-सत् प्रत्येक समय उत्पन्न होता है और नाश होता है यह अनित्य नामा व्यवहार नय है। प्रश्न १८४-नित्य नय का प्रयोग बताओ? / उत्तर-सत् न उत्पन्न होता है, न नाश होता है, वह सदा एक रूप ध्र व रहता है यह नित्य नामा व्यवहार नय है। (761) प्रश्न १८५-निश्चय नय का प्रयोग बताओ? उत्तर-सत् का न नाश होता है, न उत्पन्न होता है न ध्रुव है, वह तो निविकल्प है यह निश्चय नय का पक्ष है / (762) प्रश्न १८६-प्रमाण का प्रयोग बतायो ? उत्तर-जो अनित्य की विवक्षा मे नित्य रूप से नही है वही नित्य की विवक्षा मे अनित्य रूप से नहीं है। इस प्रकार तत्व नित्यानित्य है यह प्रमाण पक्ष है। (763) प्रश्न १८७-अतत् नय का प्रयोग बताओ? उत्तर-वस्तु मे नवीन भाव रूप परिणमन होने से "यह तो वस्तु ही अपूर्व 2 है" यह अतत् नामा व्यवहार नय का पक्ष है। (764) प्रश्न १९८-तत् नय का प्रयोग बताओ? उत्तर-वस्तु के नवीन भावो से परिणमन करने पर भी तथा पूर्व भावो से नष्ट होने पर भी यह अन्य वस्तु नही है किन्तु वही की वही है यह तत् नय नामा व्यवहार नय का पक्ष है। (765) प्रश्न १८६-शुद्ध द्रव्याथिक नय का प्रयोग बताओ? उत्तर-वस्तु मे न नवीन भाव होता है, न पराचीन भाव का नाश
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy