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________________ ( 144 ) (5) शास्त्र बाँचकर, पूजा करके, आजीविका आदि लौकिक कार्य साधना अनन्त ससार का कारण है। प्रश्न ८-क्या बाह्य सामग्री से सुख-दुःख होता है ? उत्तर-विल्कुल नहीं, क्योकि आकुलता का घटना-वढना रागादिक कषाय घटने-बढने के अनुसार है इसलिए वाह्य सामग्री से सुख दुख मानना, मात्र भ्रम ही है। प्रश्न :-~-क्रोधादिक क्यों उत्पन्न होते हैं ? उत्तर-पदार्थ अनिष्ट-इष्ट भासित होने से अज्ञानियो को क्रोधादिक उत्पन्न होते है। प्रश्न १०-क्रोधादिक के अभाव के लिए क्या करें ? उत्तर-जब तत्वज्ञान के अभ्यास से कोई पदार्थ इष्ट-अनिष्ट भासित ना हो, तब स्वयमेव ही क्रोधादि उत्पन्न नही होते तव सच्चे धर्म की प्राप्ति होती है। प्रश्न ११-क्या शुभभाव परम्परा मोक्ष का कारण है? उत्तर-बिल्कुल नहीं, क्योकि शुभभाव किसी का भी हो वह बध काही कारण है। (अ) जैसे-सातवे गुणस्थान की दशा साक्षात् मोक्ष का कारण हो तो इसकी अपेक्षा छठे गुणस्थान मे जो तीन चौकडी के अभावरूप शुद्धपरिणति है वह परम्परा मोक्ष का कारण है। (आ) शुद्ध परिणति अकेली नही होती उसके साथ भूमिकानुसार शुभभाव भी होता है उसमे शुद्ध परिणति सवर-निर्जरारूप है और राग बन्ध रूप है / ज्ञानी उस शुभभाव को हेयरूप श्रद्धा करता है और नियम से उसका अभाव करके शुद्धदशा मे आ जाता है, इसलिए गास्त्रो मे कही-कही ज्ञानी के शुभभावो के अभाव को परम्परा मोक्ष का कारण कहा है / कहने के लिए मोक्ष का कारण है वास्तव मे बन्धरूप हो है। प्रश्न १२-ज्ञानियो को बीच में व्यवहार क्यो आता है ?
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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